अमलतास

अमलतास


amaltas




अलग-अलग भाषाओं के नाम
हिंदी :अमलतास ,धनबहेरा ,वानर काकडी
संस्कृत :राजवृक्ष ,आरग्वध,चतुरडगुल,कर्णिकार 
मराठी :बाहवा,भावा
गुजराती :गरमालो,गरमाको,गड्मालु
पंजाबी :अमलतास ,करकंरगल,कनियार
अंग्रेजी :pudding pipe tree

गुण धर्म और प्रयोग
******************
 यह रस में मधुर खाने में  तीखा,वीर्य  में ठंडा,  चिकना, भारी,मदु विरेचक, जठराग्निवर्धक है तथा ज्वर, दाह ,हृदय रोग , मूल , उदर रोग,कृमि,प्रमेह ,मूत्रकृच्छ,रक्त पित्त ,कफोदर ,गुलं त्रिदोष कंदु और कुष्ठ नाशक है 

बुखार में मल अवरोध होने पर इसकी  फली का सफल प्रयोग किया जाता है जिससे मल मुलायम होकर बाहर निकल जाता हैइसके पेड़ भारतवर्ष में 

लगभग सभी स्थानों पर पाए जाते हैं इसके तने की मोटाई लगभग 2  से 3 फुट तक होती है इसमें काले रंग की फलियां लगती है इस पेड़ की छाल 

उतारने पर लाल रंग का रस निकलता है टीवी  की बीमारी दूर करने में इसके मुकाबले की अन्य कोई वनस्पति नहीं है इसकी जड़ को दूध में 

औटाकर पीने से  किसी भी प्रकार की टीवी समाप्त हो जाती है यह कार्य निपुण आयुर्वेदिक के 

सानिध्य में ही करना चाहिए इस पेड़ की जड़ को  घिस कर दाद पर लगाया जाए तो कुछ ही दिनों में वह दाद  समाप्त हो जाता है इसकी जड़, छाल, 

फल ,फूल  और पत्ते इन पांचों को जल में पीसकर दाद खुजली या चर्म विकारों पर लगाने से जादू के समान असर होता है किसी के पेशाब में खून 

आता हो तो इसके गूदा  का नाभि पर लेप करने से तुरंत फायदा मिलता है इसके द्वारा सांस की रुकावट कोढ , कर्ण रोग, कंठमाला बालकों का 

अफारा तुरंत  दूर किया जा सकता है इसका कल्प बना कर यदि 7 दिन तक सेवन किया जाए तो किसी भी प्रकार का पुराने से पुराना घटिया मात्र 

10 दिन में ही समाप्त हो जाता है और भविष्य में घटिया रोग नहीं हो सकता आंतों के रोग, कब्जी  गले की तकलीफ आदि में इसकी जड़ 

महत्वपूर्ण औषधि कही गई है अमलतास के द्वारा मनुष्य के बहुत से रोगों का इलाज संभव है अपने अपने अनुभव के हिसाब से आयुर्वेदज्ञ रोगी पर 

इसका प्रयोग करते है | 

धनवान बने -  नर्मदेश्वर लक्ष्मी साधना प्रयोग
Previous
Next Post »