अमलतास

अपामार्ग या चिरचिटा

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दिव्य पौधा अपामार्ग का 



चिरचिटा स्थानीय लोगों में बहुत प्रसिद्ध है इसको  सभी लोग चिरचिटा के नाम से ही जानते हैं इसे हाथ से छूने 

पर कांटे  लग जाते हैं जिसके कारण इसका नाम चिरचिटा पड़ा इसे अपामार्ग भी कहते हैं यह दो प्रकार की 

होती है एक अपामार्ग का पौधा लाल रंग का होता है जिसकी डंडियां कुछ  लाल के   रंग की होती है इसी को 

लाल अपामार्ग कहते हैं दूसरी प्रकार का अपामार्ग सफेद रंग का होता है इसमें सफेद फूल आते हैं जिसके 

कारण उसका नाम सफेद अपामार्ग  पड़ गया इसकी  की जड़ की भस्म बनाकर दूध के साथ पति पत्नी दोनों पी  
ले   तो इससे संतान लाभ प्राप्त होता है दूसरा प्रयोग है चिरचिटा के दानों को साफ करके  दूध में डालकर 

इसकी खीर बना ली जाए और जब  खीर  अच्छी तरह पक कर तैयार हो जाए तब उस खीर  को खाने से कई 

दिनों तक भूख नहीं लगती जंगलों में संत महात्मा जब कोई साधना करना चाहते हैं तब वह इस प्रकार की खीर  
बनाकर खा लेते हैं उसके बाद 10- 12 दिनों तक आराम से साधना करते रहते हैं जिससे कि उन्हें मल मूत्र 

त्याग नहीं करना पड़ता | 

 दूसरी प्रकार का पौधा जो सफेद रंग का पाया जाता है जिस में सफेद फूल लगते हैं यह पौधा तंत्र की दृष्टि से 

अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है इस पौधे को घर पर लाकर अपनी तिजोरी में रख देने से आर्थिक लाभ होता 

रहता है | 

और इसकी जड़ को पीसकर चंदन की भांति  तिलक करने से वशीकरण शक्ति प्राप्त होती है यह तांत्रिक 

प्रक्रिया है|
 

दूसरा प्रयोग इसकी जड़ की बत्ती को दीपक में जलाकर अदृश्य दृश्य प्रयोग सिद्ध किया जाता है और इसे 

करने के बाद वह व्यक्ति किसी को दिखाई नहीं पड़ता यह भी तंत्र का एक प्रयोग है| 

 तीसरा प्रयोग बहेड़े की जड़ के साथ इसकी जड़ को मिलाकर  उच्चाटन प्रयोग संपन्न किया जाता है | 

 इसकी पत्तियों को पीसकर बिच्छू काटे स्थान पर लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है | 

या इसकी पत्तियों को जलाकर बिच्छू काटने की जगह पर धूआं दिखा  दिया जाए तो बिच्छू का जहर बहुत 

जल्दी उतर जाता है | 

इस प्रकार से अपामार्ग का कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है इस पौधे को कांटे होने की वजह से कोई पशु भी 

नहीं खाता |

इसके अलावा प्रसव के समय अपामार्ग की जड़ को पीसकर प्रसव होने से पूर्व दादी के चारों तरफ लगा दिया 

जाए नाभि के चारों तरफ लगा दिया जाए तो आसानी से प्रसव हो जाता है प्रसव होने के बाद जो नाभि के चारो 

तरफ लगा हुआ है उस पेस्ट  को  तुरंत पहुंच देना चाहिए नहीं तो बच्चेदानी बहार निकल आएगी इसलिए इस 

बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए | 
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2 टिप्पणियाँ

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shivam
admin
27 नवंबर 2017 को 3:23 am बजे ×

jee apne jo 64 jadi buti ke bare mai likha hai usme mayurkand ki jadi ke bare mai bhi jankari de

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4 दिसंबर 2021 को 5:17 pm बजे ×

आपका यह अमूल्य प्रयास सराहनीय है सर ।
क्या सोमवल्ली का चित्र मिल सकता है सर?

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