पेड़
अर्जुन का पेड़ 64 दिन जड़ी बूटी में से एक है यह भारतवर्ष में बहुत कम स्थानों पर पाया जाता है यह हिमालय की तलहटी में पाया जाता है छोटा नागपुर के पास में पाया जाता है और दक्षिण बिहार
आदि की तरफ भी सामान्य रूप से पैदा होता है इसकी ऊंचाई लगभग 40 से 60 फुट तक होती है इसके पत्तों का आकार मनुष्य की जीभ के समान जैसा होता है इस वृक्ष के ऊपर वैशाख के महीने में अत्यंत सुंदर फूल
आते हैं इस पेड़ से भूरे रंग का गोद निकलता है जो लोग हृदय रोग से परेशान हैं उनके लिए इसके मुकाबले की कोई औषधि नहीं है इसकी छाल को काढ़ा बनाकर उस में गुड़ डालकर और थोड़ा फल
सा दूध डाल डाल कर और क्या कर पीने से हृदय की सूजन का बढ़ना रुक जाता है और हृदय से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी में इससे बहुत
फायदा मिलता है इस वृक्ष की छाल का सत्व निकालकर और शुद्धिकरण की प्रक्रिया करके रक्त में इंजेक्शन की तरह पहुंचाया जाए तो हृदय को तुरंत आराम मिलता है यदि हृदय का कोई बाल निष्क्रिय हो गया
हो या हृदय सिकुड़ गया हो या फिर कोई और तकलीफ हो तो इसे प्रयोग करने से आश्चर्यजनक लाभ पहुंचता है इसकी लकड़ी को फर्नीचर बनाने के कार्य में भी प्रयोग किया जाता है इस पेड़ की छाल कुछ सफेद रंग की
होती है इसके फल छोटे छोटे होते हैं और इस पर सफेद रंग के फूल लगते हैं इन फूलों को भी औषधीय कार्य में प्रयोग किया जाता है भारतवर्ष में इस पेड़ को अलग -अलग राज्यों में अलग -अलग नामो से जानते है | फूल
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हिंदी में- कहू , अंजन,अर्जुन
संस्कृत में- ककुभ नदी सर्ज, इंद्रद, बीरवक्ष
मराठी में -अर्जुन ,सादडा,पांटस,ऐन,सारढोल
बंगला में -अर्जुन ,गाछ
गुजराती में -धोलो साजड,साद्ड़ोसाजदान,आसोदरो
अंग्रेजी में -arjuna myrobaian
दिव्य जड़ी बूटी "सोमवल्ली जड़ी बूटी"
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